यह आर्टिकल मैं "याकूबरज़ा" उन लोगों के लिए लिख रहा हूँ
जिन्होंने पहले भी कई कम्पनियों में काम किया होगा,
जिन्होंने पहले भी कई कम्पनियों में काम किया होगा,
और उसमें दिल लगा कर महेनत भी की होगी.
लेकिन सफलता नहीं मिली.
यदि आपभी उनमे से एक हैं
तो आपको यहाँ निराश होने की कोई जरुरत नहीं है.
आप सम्मान के पात्र हैं.
क्यूंकि आपने बेकार बैठे रहने के बजाए
कुछ अच्छा करने का प्रयास किया.
आप तारीफ के काबिल हैं. क्यूंकि आप सपने देखते हैं
और सपने देखकर उसे पूरा करने वाले
सकारात्मक सोच वाले होते हैं.
आपने पहले भी काफी परिश्रम किया होगा
लेकिन किसी कारणवश सफलता नहीं मिली.
फिरभी आपको निराश होने की जरुरत नहीं है.
यह बात हमेशा याद रखें की
लगातार प्रयास करने वाले लोग ही सफल होते हैं.
उदाहरण : नासा अमेरिका का एक उपग्रह जिसमे
कल्पना चावला भी सवार थीं.यह उपग्रह
आकाश मे ही नष्ट हो गया.सारे अन्तरिक्ष यात्री मारे गए.
और काफी नुक्सान हुवा.
इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद सारी दुनिया की
अन्तरिक्ष एजेंसियां अभी-भी अपने-अपने अंतरिक्षयान(उपग्रह)
आसमान में भेजने में लगी हुई है.
एक और उदाहरण :यदि कोई बस बडौदा से मुंबई जा रही है,
और जाते हुवे किसी कारणवश दुर्घटना घट जाती है,
जिससे की सारे यात्री की मौत घटना स्थल पर ही हो जाती है.
तो क्या उस रुट पर जाने वाली बाकि गाड़ियाँ भी बंद हो जाएगी ?
क्या अब उस रूट पर कोई यात्री प्रवास नहीं करेगा ?
जरुर करेगा.
क्यूंकि किसीभी अ-सफलता से घबराकर अपने जीवन में
वह कार्य बंद कर देना निश्चित रूप से कायरता है.
हमें आने वाले कल को पुराने चश्मे में नहीं देखना चाहिए.
दुनिया में दिन-प्रति दिन बदलाव आ रहा है,
तरक्की हो रही है.
अयसे समय में आप जेसे उर्जावान और उत्साही व्यक्ति को
अपने वह सपने पुरे करने में जुट जाना चाहिए जो आपने
अपनों के लिए देखें हैं.
आपको एक बार फिर संकल्प लेना होगा ---
आगे बढ़ने का.......................
कुछ कर दिखाने का .............
जो लोग आपकी पिछली अ-सफलता पर हँसे थे
उनके मुंह बंद करने का....................................
बहुत सारी सफलताएं आपका इंतज़ार कर रही है.
आपको चाहिए की इस अवसर को लपक कर पकड़ लें
और अपने जीवन में उन्नति के दरवाजे खोल लें.
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एक आदमी ने अपनी सारी कमाई लगा कर
एक आलिशान मकान तैयार किया,
एक आलिशान मकान तैयार किया,
उसमे सुख-सुविधा के सारे सामान जुटाएं.
कोई कमी नहीं छोड़ी.
उसके मित्रों ने उसके मकान की खूब तारीफ़ की.
तारीफ़ सुन कर उसे बहुत ख़ुशी हुई.
लेकिन यह क्या ? ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मकान तैयार होने के कुछ दिन बाद ही उसमे आग लग गई.
और पूरा मकान जल कर खाख होगया.
उसके सारे दोस्त उसे सांत्वना देने पहुंचे.
लेकिन उन्हें यह देख कर हैरत हुई की
वह आदमी ज़रा भी दुखी नहीं है.
बल्कि अपनि जिंदगी की पूरी कमाई लगा कर
जो मकान बनाया था उसे खाख में मिला हुवा देख कर भी वह खुश है.
दोस्तों ने पूछा: अरे यार तुजे अपने मकान खोने का
अपनी जिंदगी भर की कमाई जल जाने का जरा भी दुःख नहीं है ?
आप जानते हैं उस समजदार आदमी ने क्या जवाब दिया ?
उसने कहा की: मैं इश्वर का बहुत-बहुत आभारी हूँ
क्यूंकि मैं अपनी पूरी फेमेली के साथ
अगले ही हफ्ते यहाँ शिफ्ट होने वाला था,
अगले ही हफ्ते यहाँ शिफ्ट होने वाला था,
मैं खुश हूँ की मेरा परिवार जलने से बच गया.
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दोस्तों यह सकारात्मक सोच है.
वह आदमी जानता था की मकान तो दुबारा बन जायेगा
रुपया तो बाद में भी कमालेंगे.
लेकिन, परिवार दुबारा नहीं मिल सकता.
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आखिर में बस दो पंक्तिमें अपनी बातको ख़त्म करता हूँ ...
लहेरों से डरने वालों की नाव कभी पार नहीं होती,
और, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
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अपना समय देने के लिए धन्यवाद.
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